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प्रेम के रंग अनोखे हैं

प्रतियोगिता हेतु 
गीत 
कहीं खुशी का रंग बिखेरें, कहीं मिलें बन धोखे हैं।
हमने  देखा  है  दुनिया में, प्रेम के रंग अनोखे हैं।।

प्रेम अगर मन से होता है, तब पावन बन जाता है।
कृष्ण और राधा जैसा मन, वृंदावन बन जाता है।।
प्रेम अगर तन से होता है, तो लगता मजबूरी है।
कुछ दिन साथ बिता कर , अक्सर ही हो जाती दूरी है।।
प्रेम  रंग  को  अपनाते  जो,  मनमोहन  से  चोखे  हैं।
हमने   देखा   है   दुनिया  में, प्रेम  के  रंग  अनोखे  हैं।।

किंतु आज कल देखा हमने, प्रेम वासना रूप लगे।
धन  वैभव  के  लिए  प्रेम  हो, धंधे के अनुरूप लगे।।
सच्चा प्रेम नहीं होता है , धन दौलत और ‌कोठी से।
प्रेम  समर्पित  हो  जाता है , केवल सूखी रोटी से।।
सिर्फ वासना रावत समझे, मन के खाली खोखे हैं।
हमने   देखा   है   दुनिया में, प्रेम के रंग अनोखे हैं।।
रचनाकार ✍️
भरत सिंह रावत
भोपाल मध्यप्रदेश 

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4 Comments

Gunjan Kamal

10-Jul-2023 12:09 PM

👏👌

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Suryansh

10-Jul-2023 07:21 AM

बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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Varsha_Upadhyay

09-Jul-2023 10:57 PM

बहुत खूब

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